कुछ तो गलत होने वाले है,

दाल में कुछ काला है,

आज दांतो फिर कुछ झनझनाहट हुई है,

मुंह के होठों से गायब मुस्कुराहट हुई है,

दाल मे निकल आया है पत्थर,

दांतो के बीच बन गई है लाठी,

फिर भी दाल को खाता जाता,

दांतो के दर्द को छुपाता जाता,

जब दाल में दूसरा पत्थर आया,

तब मेरा दांत एक बाहर निकल आया,

दाल का कटोरा रखकर,

डॉक्टर को दिखाने दौड़ा आया,

डॉक्टर को फीस दे कर,

मैं घर आया मुंह  ले कर,

दाल का कटोरा फिर रख दिया गया आगे,

मैं भाग खड़ा हुआ किनारे.